Wednesday, May 8, 2024

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Hinduism abused by left liberals

धुर्वीकरण की राजनीति से भारत का हितोपदेश

2014 के बाद देश कई तथाकथित राष्ट्र्वादी पत्रकार मैदान में उतरे हो जिसे उस बहुसंख्यक समाज ने ये मौका दिया जो तथाकथित महा उदारवादी पत्रकारों की न्यूज के व्यूज को गलत मान कर भी थाली में सरकाई रोटी खा रहा था।

वो इधर की उधर लगाने वाले विदूषक कब बन गए, पता चला क्या?

अपने इतिहास के प्रति हमारी अरुचि, अनभिज्ञता और अनास्था ने आदि प्रजापति ब्रह्मा के मानस पुत्र देवर्षि नारद, जिनके लिए श्रीमद्भागवत गीता में स्वयं श्री कृष्ण कहते हैं मैं देवर्षियों में नारद हूँ को आज एक अधम विचार वाले, परिवारों को नष्ट करने वाले व्यक्ति के रूप में घटिया चुटकुलों का नायक बना दिया है.

कानून सजग नागरिकों के प्रति उत्तदाई होता है

मंदिरों को स्वतंत्र कराना, गौहत्या पर रोक लगवाना, विद्यालयों में हिन्दू धर्म की शिक्षा को आरंभ कराना, सरकारी योजनाओं में हिन्दुओं के प्रति भेदभाव को समाप्त कराना, अभद्र टिप्पणियों की रिपोर्ट करना इत्यादि अनेकों समस्याएं विद्यमान हैं। इन समस्यायों से छुटकारा पाने लिए यह बहुत आवश्यक है कि हिन्दुओं को इनकी समाप्ति के उपाय एवं उनकी कानूनी प्रक्रिया का ज्ञान हो।

Principles of modern Hindutva find mention in, surprise, the Constitution of India

Thos who look suspiciously at the Constitution as a British product, are ignoramuses. The Constitution itself contains major principles that are very dear to the cause of the Hindu Renaissance.

वट (सती) सावित्री के बहाने नारीवादी चर्चा

एक स्त्री जो अपने निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है, लिए गए निर्णय पर अडिग रहना जानती है, निर्णय का कुछ भी परिणाम हो उसे स्वीकार करने के लिए प्रस्तुत है, अपने प्रेम के लिए राजमहल को त्याग वन को जा सकती है, अपने प्रिय की प्राणरक्षा के लिए सीधे यमराज से टकराने का साहस और विजयी होने का सामर्थ्य रखती है क्या वो स्त्री निरीह या अबला हो सकती है?

जयंती विशेष: धर्म रक्षक गोरक्षपीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ

हमारे राष्ट्र के आधुनिक राजनीतिक इतिहास में महंत दिग्विजय नाथ की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में भी जानना चाहिए। महंत दिग्विजय नाथ

लाला लाजपत राय व आंबेडकर का वो डर हिन्दुओं के लिए इस्लाम को लेकर, देश को पुनः खंडित करने का आभास दिला रही है

ये चिंतन करने का विषय है कि आग कहीं न कहीं जलती रहती है इसीलिए इस देश के इतने टुकड़े करने के बाद भी धर्म के आधार पर फिर से उसी मोड़ पर खड़े होकर धुआं निकलते हुए देखते रहते हैं।

Hindu renaissance and utilitarianism

Hindu Renaissance is an opportunity that may not herald itself again should we fail to seize it. To use the phraseology of Sardar Patel, although he used it in a different context, "This must, must and must be done."

Dispelling the prevarications against Savarkar’s petitions once and for all

How left liberals have twisted Savarkar's petition to show that he was a traitor, to malign a true Hindu nationalist

A non intellectual Hindu perspective

After all the advantage Muslims have had in India, they don’t seem to be content, especially now that the current government is trying to equalize the status of all Indians irrespective of their religion.

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