यह जो हिन्दी मीडियम और अंग्रेजी मीडियम की दीवार है यहीं होती है ‘Inferiority Complex’ की शुरुआत। क्योंकि लोगों को लगता है कि अंग्रेजी भाषा में हिंदी, राजस्थानी, मराठी या किसी अन्य प्रदेश की भाषा से रोजगार की तुलना में अधिक अवसर हैं।
वर्ष 1949 में हिंदी को हमारे देश में सर्वोच्च दर्जा प्राप्त हुआ और तब से हिंदी को हमारी राष्ट्रभाषा माना जाता है, भले ही हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दे दिया गया हो लेकिन आज भी वह अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है। इस संघर्ष पर विराम क्यों नहीं लग रहा?
समझ में नहीं आता उन्होंने, लखनऊ का इतिहास लिखा, सहेजा या फिर लखनऊ को सिर्फ नवाबों और तवायफों में समेट दिया? चैती, सोहर, बन्ना जैसे लोकसाहित्य को लखनऊ का या अवध और अवधी का इतिहास नहीं कह सकते।
आत्मगौरव, निजधर्म के सम्मान में वह मुसलमान हो जाने के स्थान पर मृत्यु को वरीयता देता है और जिहादियों के हाथों मारा जाता है। यही प्रेम त्रिकोण का टर्निंग पॉइंट बनता है।