जैसे पूतना ने माता के वेष में हमारे सांस्कृतिक नायक श्रीकृष्ण के प्राण लेने का षड्यंत्र रचा था, वैसे ही देश के विभिन्न प्रांतों में स्थित चर्च एवं मिशनरीज, उनमें कार्यरत तमाम फादर्स-मदर्स-नन्स आदि सेवा की आड़ में हमारे भोले-भाले, निर्धन-वंचित वनवासियों को लुभाकर उनका धर्मांतरण करते हैं।
Why they are afraid to disclose their funding? Why only 10% registered NGOs file their balance-sheets with Registrar of Societies? No NGO is ready to answer these questions except for playing victim card.
जो गलतियां महात्मा गांधी ने की वही गलतियां उनके देहावसान के 70 वर्ष बाद भी दोहराई जा रही हैं या यह कहा जाए कि महात्मा गांधी ने जिन नीतियों से ईसाई मत का सामना किया था हिन्दु समाज आज भी उन्हीं असफल नीतियों से उनका सामना कर रहा है।
इस्लामिक कट्टरवाद भारत के लिए सीधा शत्रु है लेकिन ईसाई कट्टरवाद अदृश्य खतरा है जो कि भीतर ही भीतर हमें खोखला कर रहा है। हमें भूतकाल से सीखना होगा कि किस प्रकार रोमन सभ्यता और साम्राज्य का विनाश हुआ। कहीं ऐसा न हो कि हमें भी वही दिन देखने पड़ें!