इस लेख को लिखने का उद्देश्य उस वजह को समझाना है की किस वजह से देश में हिंदू संस्कृति के उत्थान के लिए जितने भी संगठन बने है उनके कार्यकर्ताओ को इतने हिंसक तरीके से जान से मारा जा रहा है, हर्षा की हत्या न तो पहली हत्या है न ही अंतिम!
क्यों राजनैतिक नेतृत्व इन अराष्ट्रीय गतिविधियों के प्रति घोर उदासीन बना हुआ है। उसकी क्या सियासी मजबूरियां हैं। क्या वह जानबूझकर इन घटनाओं को अनदेखा कर रहा है? क्या हिंदू समाज को कमजोर करने में ही उसे अपनी सियासत नजर आ रही है?
बजरंग दल का पूर्ब राष्ट्रीय संयोजक सुभाष चौहान अपनी जिंदगी की जंग हार गए। उनका आज (रविवार) सुबह 3:05 बजे भुवनेश्वर के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया। 1966 में जन्मे सुबाष चौहान मृत्यु के समय 54 वर्ष के थे।
Congress government has imposed Section 144, locked free speech inside a box and thrown away the key. Pass me the remote so that I can watch another debate on Ramjas.