Thursday, April 25, 2024
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कर्नाटक के हर्षा हिंदू की हत्या – न पहली न अंतिम!

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ये लेख लिखते हुए हृदय में बहुत पीड़ा है!

कर्नाटक जो मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा शिक्षण संस्थाओं में यूनिफार्म का विरोध और हिजाब पहनने की जिद की वजह से इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है, वहां कल रात एक वीभत्स हत्या की गई जिससे पूरे देश में आक्रोश है।

दरअसल हुआ ये है कि कल रात को कर्नाटक के शिवमोगा जिले में हिंदू सांस्कृतिक संगठन बजरंग दल के एक 26 वर्ष के कार्यकर्ता की कुछ लोगो ने बड़ी निर्दयता से चाकू से गोदकर हत्या कर दी, हत्या किन लोगो ने की है, इसका पता नहीं चला है अब तक तीन लोगो को गिरफ्तार किया है जिसमे से दो के नाम (कासिफ और नदीम) है और गृहमंत्री द्वारा अंदेशा जताया गया है कि इस हत्या में 5 लोग शामिल हो सकते है, पुलिस जांच कर रही है और हत्या के मूल कारण का अभी पता नही चला है लेकिन अंदेशा जताया जा रहा है कि हर्षा ने हिजाब के समर्थन में एक पोस्ट डाली थी और इसलिए मुस्लिम कट्टरपंथियों ने उनकी हत्या कर दी, हालांकि सत्य तो जांच के बाद ही पता चलेगा, लेकिन जिस क्रूर तरीके से हत्या की गई है, उससे समझ में आता है कि हत्यारे कितनी ज्यादा नफरत से भरे थे।

हर्षा की हत्या के बाद से इलाके में तनाव है और भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।

मेरा इस लेख को लिखने का उद्देश्य उस वजह को समझाना है की किस वजह से देश में हिंदू संस्कृति के उत्थान के लिए जितने भी संगठन बने है उनके कार्यकर्ताओ को इतने हिंसक तरीके से जान से मारा जा रहा है, हर्षा की हत्या न तो पहली हत्या है न ही अंतिम!

इससे पहले हम केरल में, बंगाल में आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों के कार्यकर्ताओं की निर्मम हत्या की खबरे पढ़ते रहें हैं।

तथा देश भर से हिंदुओ की आवाज उठाने वाले लोगो की प्रताड़ना और हत्या की खबरे आती रहती हैं, अभी ज्यादा दिन नहीं हुए उत्तर प्रदेश में में कमलेश तिवारी की हत्या मुस्लिम लड़को ने गला रेतकर कर दी थी। उनपर इस्लाम के पैगंबर के ऊपर कोई टिप्पणी करने का आरोप था।

कुल मिलाकर बात ये है कि कुछ लोगो में हिंदू सांस्कृतिक संगठनों के खिलाफ घोर नफरत भरी हुई है जिसका परिणाम इस तरह की निर्मम हत्याएं है।

अब यहां सोचने वाली बात है कि कोई भी व्यक्ति किसी सामाजिक संगठन से क्यों नफरत करेगा, इसका जवाब है इन संगठनों के खिलाफ एक मिशन के तहत दिन रात विभिन प्रकारों से फैलाई जा रही नफरत!

जिसमे सोशल मीडिया एक बहुत बड़ा साधन है।

हमारे देश में ऐसे बहुत सारे नेता, पत्रकार, लेखक, बुद्धिजीवी, कलाकार तथा एक्टिविस्ट हैं, जिनके सोशल मीडिया अकाउंट पर हिंदू सांस्कृतिक संगठनों खासकर आरएसएस और बजरंग दल और उसके सदस्यों के खिलाफ खुलेआम बेहद नफरत से भरी पोस्ट, ट्वीट की भरमार होती है, और ये सारे लोग ऐसे होते है जिनको हजारों, लाखों लोग फॉलो करते है।

इनकी पोस्टों, ट्वीटो में बार–बार और स्पष्ट रूप से आरएसएस और बजरंग दल को आतंकवादी संगठन और उनके कार्यकर्ताओ को आतंकवादी कहा जाता है, ये लोग जानबूझकर इन संगठनों को आतंकवादी संगठन कहते है और अपने फॉलोअर्स के भीतर इन संगठनों के खिलाफ नफरत भरते है। जबकि आरएसएस और बजरंग दल आदि आजतक किसी भी तरह के आतंकी कृत्य में शामिल नहीं पाए गए है, बल्कि ये संगठन किसी भी आपदा के समय में लोगो की सेवा में हाजिर रहते हैं, ऐसा हमने विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के समय में देखा है जब संघ के स्वयंसेवक अपनी जान की बाजी लगाकर निस्वार्थ भाव से लोगो की सेवा में लगे थे।

फिर भी कुछ लोग अज्ञात कारणों से इन संगठनों के खिलाफ खिलाफ हमेशा जहर उगलते रहते हैं।

चूंकि इनमे से अधिकतर सार्वजनिक जीवन में प्रभावशाली होते हैं इसलिए इनके ऊपर न तो स्वतः कार्यवाही होती है न ही ये सांस्कृतिक संगठन अज्ञात वजहों से इन लोगो के खिलाफ कोई कानूनी कदम उठाते है और ये नफरत फ़ैलाने का खेल जारी रहता है, ये खेल आज से नहीं की दशकों से चल रहा है किंतु सोशल मीडिया के आने से ये बेहद तेजी से बढ़ा है और इन प्रभावशाली लोगो द्वारा फैलाई गई नफरतों का शिकार बनते हैं संघ और उसके संगठनों के कार्यकर्ता।

ये लोग संघी आतंकवाद, हिंदू आतंकवादी, हिंदू आतंकवाद, बजरंग दल टेररिस्ट जैसे खतरनाक और बेहद भड़काऊ शब्दो का इस्तेमाल बार–बार अपने सोशल मीडिया पोस्टों में करते है।

और इन सतत नफरत से भरी पोस्टो का नतीजा होता है कि इनके समर्थक इन संगठनों के खिलाफ नफरत से भर जाते हैं और फिर उसका परिणाम होता है हर्षा जैसे नवयुवकों की हत्या।

लोगो को चाहिए कि सोशल मीडिया पर हिंदू सांस्कृतिक संगठनों के खिलाफ फैलाई जा रही नफरत से सावधान रहें।

और सांस्कृतिक संगठनों से उम्मीद करूंगा की उनके खिलाफ चलाए जा रहे इस प्रोपोगंडा को ध्वस्त करने के लिए कुछ रास्ते अपनाए।

हर्षा की हत्या के बाद सोशल मीडिया पर बहुत सारे ऐसे लोग भी थे जिन्होंने जश्न मनाया और उनको हिंदू आतंकी बोला।

मैं नीचे कुछ ऐसे ही लोगो के ट्विटर के स्क्रीन शॉट शेयर कर रहा हूं जिन्होंने साफ साफ हिंदू टेररिस्ट, बजरंग दल टेररिस्ट, हिंदुत्व टेररिस्ट जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके नफरत फ़ैलाने की कोशिश की है, इनमे से कईयों ने तो हर्षा को आतंकवादी बताते हुए उनकी मौत का मजाक उड़ाया है।

हर्षा के मौत के लिए ये लोग भी जिम्मेदार है जिन्होंने ये नफरत खुलेआम फैलाई है।

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