Thursday, April 25, 2024

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राम के आदर्शों का अनुकरण कर हम भी राम बन सकते हैं

प्रभु श्रीराम ने अपने सम्पूर्ण जीवन के प्रत्येक प्रसंग से समाज व समाज के लोगों के समक्ष यही संदेश देने का प्रयास किया है कि हम भी राम की भांति ही हो सकते हैं एवं समाज के समक्ष एक आदर्श प्रस्तुत कर सकते हैं, लोगों को अपने जीवन से प्रेरित कर सकते हैं।

भारत की सुरक्षा: मोदी सरकार ने कैसे पिछले पांच साल में आतंकवाद पर काबू पाया

2014 से भारत की मोदी सरकार ने अपने सैन्य और विदेश मामलों में बहुत कुछ बदलाव किये जैसे की जो देश अंतरराष्ट्रीय मामलो में भारत का साथ देते थे उनको फिर से पास लाना और जो देश भारत के खिलाफ काम करते थे उनको अलग थलग कर देना।

श्री अरविंद केजीरिवाल से १६ सवाल और एक विनम्र अपील देशवासियों से

1. सबसे पहला सवाल आपने किस मुस्लिम नेता के दवाब में मरकज  में 5000+ लोगो को आने दिया ? 2. महाराष्ट्र पहले ही मरकज की...

जिहादी सोच वही, अंदाज़ नया

अभी के कोरोना संकट में जो तब्लीगी जमात ने किया वो फिर से इस बात की पुष्टि करता है की मुस्लमान परिवार सहित मरने को तैयार है लेकिन भारत के कानून को नहीं मानेगा।

कोरोना विज्ञान या विचार की उपज: वामपंथ बनाम सनातन

हमेशा संकट काल मे चीन और उसके जैसे भस्मासुरी प्रवृत्ति के देश अपना लाभ और व्यापारिक हित देखते हैं जबकि भारत सदा से ही ऐसी परिस्थितियों मे एक समदर्शी पालक के रूप मे उभरता है, जो पूरे विश्व का मानवता की तरफ से नेतृत्व करता हुआ परिलक्षित होता है

थूक मत जाहिल!

थूक मत जाहिल, अरे तू थूक मत जाहिल।

‘इस्लामोफोबिया’ शब्द का निरंतर इस्तेमाल करने वाले हैं खुद ‘हिन्दुफोबिया’ से ग्रसित

लिबरल ट्विटर योद्धाओ की बेशर्मी देखिए कि, सच को सच दिखाने पर वो मीडिया, आम लोग, यहां तक की मेडिकल कर्मचारियों को भी इस्लामोफोबिक बताने लगे। लेकिन बीमारी को धर्म के चश्मे से ना देखने वाले यही लोग उसी वक़्त मंदिर, पंडित, पूजा, आरती, आदि पर निरंतर प्रहार करते नज़र आये।

मॉडल पर चर्चा!

अन सेक्युलर मॉडल। (by @ambujkmrjha)

दलित संघी

मेरा दलित होना या नही होने का आधार मेरी जाति या मेरे साथ होने वाला भेदभाव नहीं है अपितु मेरी जाति के तथाकथित ठेकेदारों की विचारधारा है, जो उस भ्रष्ट ठेकेदारी प्रथा के साथ है उनके हिसाब से वो सब दलित है और जो इस विचारधारा के साथ नहीं वो केवल एक कट्टर संघी हिन्दू है।

वर्ण व्यवस्था और जाति व्यवस्था के मध्य अंतर और हमारे इतिहास के साथ किया गया खिलवाड़

वास्तव में सनातन में जिस वर्ण व्यवस्था की परिकल्पना की गई उसी वर्ण व्यवस्था को छिन्न भिन्न करके समाज में जाति व्यवस्था को स्थापित कर दिया गया। समस्या यह है कि आज वर्ण और जाति को एक समान माना जाता है जिससे समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।

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