केसवानी की रिपोर्टें वहां के आलाकमानों को पसंद नहीं आ रही थीं। सो नौकरी से हाथ धो बैठे। मगर जो मौत का साया कंपनी से निकलने वाले वेस्ट और वहां के कामगारों को आने वाले कल में चिताओं पर लेटे देख चुका हो, वह चुप कैसे बैठ सकता था।
हमेशा संकट काल मे चीन और उसके जैसे भस्मासुरी प्रवृत्ति के देश अपना लाभ और व्यापारिक हित देखते हैं जबकि भारत सदा से ही ऐसी परिस्थितियों मे एक समदर्शी पालक के रूप मे उभरता है, जो पूरे विश्व का मानवता की तरफ से नेतृत्व करता हुआ परिलक्षित होता है