शुभदीप सिंह सिद्धू उर्फ़ सिद्धू मूसेवाला की हत्या कानून व्यवस्था की हालत तो बता ही रही हैं, उससे भी बड़ा सवाल राज्य सरकार के उस फ़ैसले पर भी खड़ा हो गया हैं जिसमें सरकार ने अचानक से चार सौ ज्यादा महत्वपूर्ण व्यक्तियों की सुरक्षा वापस ले ली.
भाजपा की राजनीति के सामने शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी को बहुत चौकन्ना रहने होगा, ये देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा संख्याबल ना होने के बाद भी तीसरी सीट जीत पाती हैं या नहीं, अगर भाजपा अपने मिशन में सफल हो गई तो ये महाविकास अघाड़ी गठबंधन के लिए भी किसी बड़े झटके से कम नहीं होगा.
बडगाम के चडूरा तहसील कार्यालय में घुसकर जिस तरह इस्लामिक दहशतगर्दों ने एक कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट की हत्या कर दी, उससे स्वाभाविक ही वहां के लोगों में रोष बढ़ा हैं. इससे एक बार फिर पंडितो के घाटी छोड़ने को लेकर चिंता पैदा हो गईं हैं.
लोकसभा चुनाव 2019 के बाद चुनाव आयोग ने तीन राष्ट्रीय पार्टियों और छह राज्यों में राज्य स्तरीय पार्टियों की मान्यता रद्द करने का नोटिस दिया था, इसमें आरएलडी सहित पांच पार्टियाँ शामिल थी.
भारतीय जनता पार्टी एक मात्र ऐसी पार्टी हैं जो चुनाव में हार की बड़ी निर्ममता से समीक्षा करती हैं. केवल समीक्षा नहीं करती उसके हर पहलु पर विचार के बाद उसके सुधार के उपाय भी किए जाते हैं.
जिन मुसलिम कट्टरपंथी संगठनों ने हिंसा कराई, केवल वे ही नही, बल्कि जिन लोगो ने देशव्यापी झूठ प्रचार कर लोगों को भडकाया, उन सबको कानून के कटघरे में खडा किया जाना बहुत आवश्यक हैं।