वास्तव में सनातन में जिस वर्ण व्यवस्था की परिकल्पना की गई उसी वर्ण व्यवस्था को छिन्न भिन्न करके समाज में जाति व्यवस्था को स्थापित कर दिया गया। समस्या यह है कि आज वर्ण और जाति को एक समान माना जाता है जिससे समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।
वर्ण शब्द का अर्थ कतई अंग्रेजी के कास्ट (caste) के समान नहीं है, क्योंकि यह जन्म आधारित नहीं वरन् कर्म आधारित है। और इसके अलावा इसमें चुनाव करने की स्वतंत्रता है।