यूक्रेन कि जनता भौतिक सुख सुविधाओं का भोग करने कि इतनी आदत हो चुकी है, कि उनके लिए ना तो राष्ट्र का कोई मतलब है और ना राष्ट्रवाद से कोई लेना देना। उन्हें इस बात की परवाह हि नहीं रही की युक्रेन उनका अपना देश है वो केवल इसे मिट्टी का एक टुकड़ा भर समझते रहे।