As India approaches the 2024 general election, it is imperative to recognize that attacks on Sanatana Dharma, regardless of the terminology used, target Hindus as a whole. Hindus must unite in the face of divisive forces and misinformation, armed with a clear understanding of their faith's core principles. Additionally, dispelling misconceptions about caste dynamics within Hinduism is essential to rectify the global misconception that synonymizes Hinduism with casteism, as Hinduism's beliefs and practices extend far beyond this stereotype.
आज आवश्यक है कि हर घर से बच्चे छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप, गुरु गोविंद सिंह, भगवान बिरसा मुंडा, रानी लक्ष्मी बाई, रानी दुर्गावती और शुभाष चंद्र बोस जैसे महानायकों और महान विरंगनाओं से शिक्षा ग्रहण करें, स्व श्री लाल बहादुर शास्त्री, स्व श्री बाळासाहेब ठाकरे, स्व श्री केशव ब हेडेगेवार, स्व श्री राम प्रसाद बिस्मिल और स्व श्री भगत सिंह के अचारों और व्यवहारों को समझे और उसे अमल में लाये।
Sanatan Dharma is fundamentally different from dominant Abrahamic faiths in terms of principles. It is a vast ocean where everything immerses into itself.
By ignoring religion and the outcome it intends to provide, public welfare remains incomplete in the hands of the government leading to more chaos in the particular subject.
सनातन धर्म का विरोध करने वाले तथा जन्म से सनातनी पर कर्म से वामपंथी हमारे एक मित्र हैं, और अक्सर हमारे जैसे सनातनी के साथ वो शास्त्रार्थ के लिए आते रहते हैं और इस बार उन्होंने भारतवर्ष और संविधान को मुद्दा बनाया।
आपने हमारे और हमारे वामपंथी मित्र के मध्य हुए शास्त्रार्थ का प्रथम अंक आपने पढ़ा जिसमे हमने अपने वामपंथी मित्र को "धर्म " क्या है, इसके संदर्भ में अत्यंत अकाट्य और ज्ञानवर्धक जानकारी दी अत: अब इस अंक में हम "पंथ" के विषय में चर्चा करेंगे।
हम सनातन धर्मी सदैव अपनी मातृ भूमि कि सुरक्षा हेतु अपने जीवन का बलिदान करने वाले उन परम विरों को अत्यंत श्रद्धा और गर्व से याद करते हैं और सम्मान भी देते हैं।
Libertarianism essentially is the polar opposite of the socialist/Ashokan "nanny State" or, as is known in more respectful terminology, the "welfare State".