एक सामान्य से चोर को भी सर्वोच्च न्यायालय में पेश करने की आवश्यकता महसूस होती है तो सर्वप्रथम जेल प्रशाशन के द्वारा न्यायालय में एक प्रार्थना पत्र प्रेषित करना पड़ता है। उस पर सुनवाई करने के पश्चात ही सर्वोच्च न्यायालय कोई आदेश पारित करता है।परन्तु यंहा पर जिसकी बात हो रही है वो एक खूंखार दैत्य है, जो सैकड़ों मासूमों की अकाल मृत्यु का जिम्मेदार है। ऐसे भयानक मलेच्छ को बिना सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के और सुरक्षा की परवाह किये बिना सर्वोच्च न्यायालय में उपस्थित कराना निसंदेह एक अति गंभीर प्रश्न है, जो मंशा पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है।
सरकार को बने हुए ३ साल हो चुके हैं, लेकिन ऐसा कोई कदम मोदी सरकार ने नहीं उठाया है, जिसे देखकर यह लगे कि मोदी सरकार देशद्रोहियों को दण्डित करने के लिए गंभीर है.