1962 की हार सेना की हार नहीं थी बल्कि राजनैतिक नेतृत्व की हार थी। राजनैतिक नेतृत्व में गलतियां की थी इसकी वजह से हुआ था। 1962 में चीन के साथ युद्ध से ठीक पहले यही हो रहा था। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और जनरल थिमैया से जुड़ी हुई कहानी है।
भारत ही नेहरू के नेतृत्व में पहला गैर साम्यवादी जनतांत्रिक राज्य था जिसने जनवादी कम्युनिस्ट चीन को मान्यता प्रदान की. नेहरू उस दौर में चीन को लेकर इतने रोमांटिक (कल्पनावादी) हो गए थे कि तिब्बत पर चीन का आधिपत्य स्वीकार कर लिया. पर जब 1962 में चीन ने भारत पर हमला किया तो नेहरू की विदेश नीति चौपट हो गई थी.