कोरोना वायरस के चलते श्रमिकों ने जिन समस्याओं का सामना किया है अपने घर वापस जाने के लिए, उसके चलते यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने एक बहुत बड़ा बयान दिया हैं की, अब से अगर किसी और राज्य को हमारे यहाँ से कामगार चाहिए होंगे तो उनको यूपी सरकार से अनुमति लेनी होगी।
Instead of carping and complaining with the Centre and States for their ‘unplanned’ declaration of National Lockdowns, we would do well to explore solutions, to not repeat the same, if and when there is a second wave, as is threatened.
While the delegation of the collector power to the Sarpanch is being welcomed by all, the mismanagement has put an woe among these people's representatives.
यह लेख पूर्ण रूपेण उन मजदूर भाइयों और बहनों को समर्पित है जो निरंतर चल रहे हैं, सड़कों पर। जिनके कंधे पर अनाज और कपड़ों का बोझ है और मन में अपने घर जीवित पहुंचने की आशाएं।
It is easy to criticize the government for not taking measures that seem, in retrospect, obvious; but in these times, it is perhaps best that we engage constructively with the government rather than attacking them at every turn.
केंद्र और राज्य प्रशासन हर हाल में लोगो की मदद में लगा है। जरूरत के समान से लेकर कई सुविधा सामग्री तक हर चीज़ के लिए प्रशासन ने यथा सम्भव व्यवस्था की। फिर भी मीडीया का एक ही अजेंडा है, कैसे सरकार को पेलें और लोगों में डर का माहौल बनाए
जिन्हें आप मजदूर कह रहे हो वो सनातन परंपरा के लघु एवं कुटीर उद्योग के सर्वेसर्वा थे, जिनके सपनों को लाल सलाम के गमछे में लपेटकर बेच दिया गया, अब इनकी संवेदनाओं को बेचकर बाज़ारवाद अपनी झोली भर रहा है।
In this lockdown period, they have no jobs in their hand, they can’t go back to their native places and they are uncertain about their future after lockdown.