Saturday, April 27, 2024

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Female Respect in the society

Western feminism विष, नारी शक्ति अमृत है

विश्व के मुख्य तीन बड़े धर्म इस्लाम, क्रिश्चियनिटी और सत्य सनातन हिंदू धर्म में से हिंदू धर्म ही एकमात्र ऐसा धर्म है जिसमें परमेश्वर के स्त्री रूप को समान मान्यता दी गई है। भगवान शिव को कई अलग-अलग रूप में पूजा जाता है। जिनमें से एक है उनका अर्द्धनारीश्वर रूप। शिव का यह अवतार स्त्री और पुरुष की समानता दर्शाता है।

Violence awaits silence

Domestic violence not only indicates physical abuse, bruises, and wounds but mental scars, battering opinions, the crucifixion of freedom, and shredding identity as well.

Womanhood: An Indian perspective

The clear heart and aspiring mind of a modern woman makes the society an elated space and to be breathing the same air is an honour and privilege and calls for life line celebrating period.

Savitri Katha – A tale of a powerful woman

Savitri stood for everything which a modern feminist shall strive for. Independent, assertive, devotion, wisdom, intelligence, and a fighting spirit.

रचनाधर्मियों को गर्भस्थ बेटी का उत्तर

जो तुम्हें अग्नि परीक्षा देती असहाय सीता दिखती है, वो मुझे प्रबल आत्मविश्वास की धनी वो योद्धा दिखाई देती है जिसने रावण के आत्मविश्वास को छलनी कर इस धरा को रावण से मुक्त कराया.

दोगलों की दुनिया

देवी के 9 रूपों की महिमा का बखान, देवी के जीवनदायिनी रूप से लेकर महिषासुरमर्दिनी स्वरूप की पूजा, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इन 9 दिनों की शक्तिपूजा का ज़रा-सा भी असर हमारी जिंदगियों में दिखाई देता है?

क्या भारत की ‘दुर्गा’ वामपंथी पितृसत्तात्मकता को हरा पायेगी?

वामपंथी कभी लेनिन की, कभी मार्क्स की, कभी माओ की और कभी स्टालिन तथा फिदेल कास्त्रो की पूजा करते मिल जाएंगे पर क्या कभी किसी वामपंथी ने किसी महिला कामरेड का बुत्त लगाकर माला पहनाई है?

बराबरी की होड़ में,आधुनिकता की दौड़ में महिलाऐं!

बराबरी की होड़ में,आधुनिकता की दौड़ में,मेरी सहेलियों पीछे छूट रहा हमारा सच्चा अवतार है !

कौन जिम्मेदार…?

अपराधों में संलिप्त लोगो के साथ वह समाज भी उतना ही जिम्मेदार होता है जो छेड़खानी, लड़के-लड़कियों की आवारागर्दी और सरेराह बेशर्मी जैसी घटनाओं को सामान्य समझकर नज़रअंदाज़ करता है,और फिर बलात्कार होने के बाद पूछता है की कौन जिम्मेदार....?

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते: यहाँ ईश्वर को भी सर्वप्रथम ‘त्वमेव माता’ का सम्बोधन दिया जाता है

समानता का नारा देकर नारी को पुरुष के स्तर पर लाने का प्रयास इस देश में वैसे ही है जैसे बड़ी लकीर को मिटाकर छोटी के बराबर कर देना। भारत में जहाँ नारी को स्वयंवर तक की स्वतंत्रता रही हो वहाँ स्वतंत्रता, समानता का नारा देना उसके महत्त्व को कमतर करने का ही दुस्साहस कहा जा सकता है।

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