Saturday, November 2, 2024

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Emergence of BJP in West Bengal

Quo Vadis, West Bengal?: Why more attachment to Bangladeshi Muslims than Hindus of India?

BJP can never come to power in West Bengal because of this large chunk of Hindu Bengali of the state who hates Dr. Shyama Prasad Mookerjee and BJP for no good reason and feel attached with Muslims of Bangladesh.

बंगाल चुनाव: 213:77 के अनुपात का अर्थ क्या? भा.ज.पा के लिए आशा की किरण या निराशा की वजह

“बंगाल में, भाजपा का 2016 में, 3 सीटों से बढ़ कर 2021 में, 77 सीटों पर आना, निश्चित ही सामान्य बात नहीं है, जहां 2016 के विधानसभा चुनावों में भाजपा का मत प्रतिशत 10% था, वहीं 2021 में, 38.1% हो गया है, हालांकि 2019 के लोक सभा चुनवों से ये, 2.2 प्रतिशत की घटत है, पर भविष्य में ये कौन सा मोड़ लेता हैं, यह देखना रुचिकर होगा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस व वाम दलों के शून्य पे सिमट जाने से, वर्त्तमान में, बंगाल के राजनीति का द्विध्रुवीकरण भी कई राजनैतिक आसंकाओ के उत्पत्ति का कारण है”।।

CM Mamta Banejee meets her match; Suvendu Adhikari becomes the Leader Of Opposition in West-Bengal Vidhan Sabha

It is pertinent to note that with 77 seats, BJP emerges as a second largest party in the West Bengal & would play a role of Opposition in the Legislative Assembly.

बंगाल में भाजपा की नैतिक जीत

अगर भाजपा 3 सीट से 76 सीट पर पहुँचती है, तो क्या उसकी नैतिक जीत नहीं कही जा सकती है? क्या मोदी शाह की जोड़ी को सफल नहीं कहा जा सकता है।

The real Parivartan is to be ushered in now

CM Mamata's politics of senseless appeasement like opposing the CAA and appointing a Muslim cleric on Tarkeshwar Temple Board have created much discontent and disillusionment.

TMC and violence: Brutal attacks on local BJP workers is normal in West Bengal

The recent attack on Gopal Majumdar's (a local BJP worker) octogenarian mother in WB, manifests the inherent violent antagonism against the BJP among the TMC's leaders and workers.

बंगाल चुनाव देश की राजनीति की दिशा तय करेगा

बंगाल का यह चुनाव तृणमूल बनाम भाजपा मात्र दो दलों के बीच का चुनाव नहीं रह गया है बल्कि यह चुनाव देश की राजनीति के लिए भविष्य की दिशा भी तय करेगा। बंगाल की धरती शायद एक बार फिर देश के राजनैतिक दलों की सोच और कार्यशैली में मूलभूत बदलाव की क्रांति का आगाज़ करे।

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