गांधी के जाति मुक्त भारत की परिकल्पना को आज के गांधीवादियों द्वारा ही घुरे पर फेंक जातीय जनगणना की स्वीकृति दी गई। इसे धार्मिक कट्टरता के दुष्परिणामों की प्रतिक्रिया स्वरूप जन्मी सामाजिक एकता को जातीय कट्टरता मे परिवर्तित कर सामाजिक विभाजन द्वारा निर्बल करने की साज़िश के रूप मे देखा जाना चाहिये।
Congress in last seven decades did what British did i.e. divide. Congress ran an occupation in India exactly like the British did. Add more castes in the census then divide the states and constituencies based on the caste stats, inflate the numbers and rule.
पिछली सरकारों की बेहद गलत और भेदभावपूर्ण जनसँख्या नीतियों का यह नतीजा है कि देश में जहां एक तरफ तो आबादी में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है, वहीं दूसरी तरफ बहुसंख्यकों की आबादी में कमी आयी है.
NGOs and other social agencies habitually present a worse case of India than what the reality is, in order to garner more funding from public and private global bodies.