दो साल पहले तक आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना दोनों ही कर्तव्यनिष्ठ और असंग्दिध सत्यनिष्ठा वाले अधिकारी थे, फिर अचानक क्या हुआ कि दोनों की सत्यनिष्ठा संदिग्ध हो गयी और आलोक वर्मा को तो अपमानित होकर सीबीआई से हटना पड़ा?
Since autonomous institution like CBI consists of technocrats and bureaucrats who are not elected and nor directly accountable to the people, govt's watch is compulsory.