जैसे पूतना ने माता के वेष में हमारे सांस्कृतिक नायक श्रीकृष्ण के प्राण लेने का षड्यंत्र रचा था, वैसे ही देश के विभिन्न प्रांतों में स्थित चर्च एवं मिशनरीज, उनमें कार्यरत तमाम फादर्स-मदर्स-नन्स आदि सेवा की आड़ में हमारे भोले-भाले, निर्धन-वंचित वनवासियों को लुभाकर उनका धर्मांतरण करते हैं।
वर्तमान की भाजपा के संगठन को देखे तो यह अतीत की कांग्रेस वाले लोकतंत्र को अपनाये हुए प्रत्येक कार्यकर्ता का सम्मान करती है, इसी का परिणाम है कि मामूली से मामूली कार्यकर्ता भी मोदी जी की तरह प्रधानमंत्री बनने की क्षमता रखता है और चुनावो में इसका परिणाम भी प्रतीत होता है।
hey have stuck their neck and are fighting a direct battle. A battle which is against established thuggery in history, economics, politics and all realms of life.