भारत में जो लोग हमेशा बिना सोचे समझे अपने देश की आलोचना करते हैं, उन्हें खुद देखना चाहिए कि हमारे पड़ोस में क्या हो रहा है, हमारी प्राचीन और परिष्कृत हिंदू सभ्यता हमारा गौरव है।
स्वयं चिंतन ,स्वयं संगठन , स्वयं क्रिया , स्वयं पुरुषार्थ , तथ्यों से आगे कर्मबोध तक जाना है अन्यथा हिंदुओं की लुटिया खुद हिंदुओं को ही समयचक्र में पुनः पुनः डूबना है ।