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सेकुलर लिबरल
ब्रह्मांडिक ज्ञानविज्ञान से पूर्ण अनंत सभ्यताओं संस्कृतियों का मुख्य केंद्र ही हिंदुत्व है।अपितु महाभारत काल के अग्रिम हज़ारों वर्षों में समय समय पर अलग अलग शाखाओं द्वारा ही जड़मूलरूपी चेतनाशक्ति को अस्तित्वविहीन करने का कुचक्र पिछले ३००० वर्षों से प्रारंभित है इसमें मुख्य २००० वर्ष उसमें से भी मुख्य १४०० वर्ष है। वर्तमान मे हिंदू समाज को एकता व यथार्थ धार्मिक जीवन को कर्मयोगी की भाँति जीना होगा व इस्लामिक व ईसाई कट्टरपंथी विचारधारा से भारत राष्ट्र को बचाना होगा।
धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः । तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत्
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आख़िर कहाँ और कितना बाकी है हिंदू?
स्वयं चिंतन ,स्वयं संगठन , स्वयं क्रिया , स्वयं पुरुषार्थ , तथ्यों से आगे कर्मबोध तक जाना है अन्यथा हिंदुओं की लुटिया खुद हिंदुओं को ही समयचक्र में पुनः पुनः डूबना है ।