Saturday, May 4, 2024

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दिल्ली दंगे- एक सुनियोजित हिन्दू नरसंहार और देश व सरकार को बदनाम करने का प्रयोग

सोचो, समझो, जागो, और प्रधानमंत्री मोदी के देशनिर्माण अभियान मे उनका सहयोग करो, जैसे और जिस जगह भी कर सकते हो। देश रहेगा तो हम रहेगें।

रवीश जेल क्यूँ जाना चाहते हैं?

रवीश का प्राइम टाइम के दर्शक एकदम मूर्ख होते हैं. वो प्राइमटाइम पहले टीवी पर देखते हैं. फिर यूट्यूब पर इसके बावजूद, जब भी किसी भक्त से भिडंत होती है तो हर बार उन्हें धोबिया पछाड़ का सामना करना पड़ता है.

लेफ्ट लिबरल्स

प्यारे लेफ्ट लिबरल्स, तुम एक बात भूल गए, तुम न जाने कितने दशकों से एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हो, लेकिन हमारी सभ्यता, संस्कृति, आदत, खान पान, शादी विवाह, परिवार, बच्चे, करवा चौथ, होली, दिवाली, रक्षाबंधन, भाई दूज, पोंगल, खिचड़ी, छठ, कावड़ यात्रा, अर्ध कुम्भ, महा कुम्भ, राम नवमी , शिवरात्रि, विजयदशमी, दुर्गा अष्टमी, चारों धाम, गंगा दशहरा, पांच कोसी परिक्रमा, लाल बाग़ के राजा की शान कछु नाही बदल पाए।

शाहीन बाग़ की ये शेरनियां, कौनसी आज़ादी की बात करती है?

रिवाजों की सूली चढ़ जाती है लेकिन हलाला के ख़िलाफ़ आवाज़ ना उठा पाती है,मैं सोचती हूँ कि शाहीन बाग़ की महिलाएँकौनसी आज़ादी की बात करती है?

दिल्ली दंगे से अमित शाह बच निकले

इसे रोका जा सकता था यदि अमित शाह चाहते तब. पर इसके लिए उन्हें वो कदम उठाना पड़ता जो लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं होता. अमित शाह संविधान के अनुच्छेद 356 का प्रयोग कर सकते थे. मतलब राष्ट्रपति शासन.

नानाजी: अनुकरणीय पुरुष

जेपी के पीछे साये की तरह खड़े रहने वाले नानाजी देशमुख संघ प्रचारक थे और जेपी के समाजवादी विचारों के इतर उनकी विचारधारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हिंदुत्व और राष्ट्रवाद पर आधारित थी।

“दर-अल-हरब” से “दर-अल- इस्लाम” तक: इस्लाम को अपने इन सिद्धांतों को बदलना होगा

इस्लामी धर्मशास्त्र में “दर अल-हरब” और “दर अल-इस्लाम” के मायने क्या हैं? इन शब्दों का क्या मतलब है और यह मुस्लिम राष्ट्रों और चरमपंथियों को कैसे प्रवृत्त और प्रभावित करता है?

राष्ट्रवाद: राममंदिर: शाहीनबाग

जिस देश को अपने इतिहास से, अपनी संस्कृति से जुड़ाव नही होता, उनकी उड़ान बुलबुले सी होती हैं। ऐसी मानसिकता वैसे ही लोगों में होती हैं, जिनकी जड़ें खोखली होती हैं।

रविश कुमार- 19 साल की लड़की ने पाकिस्तान जिंदाबाद क्या कहा कि मंच पर घबराहट मच गई

रवीश कुमार का लगभग प्रत्येक प्राइम टाइम "It suites my agenda" वाले मॉडल पर आधारित होता है जिसमें वे उन सभी खबरों को प्राथमिकता देते हैं व बार बार करते है जो उनके राजनीतिक महत्वाकांक्षा को सूट करती हैजबकि हर उन अन्य खबरों पर वाइट वाश करते है जो उनके Selected narrative के अनुकूल नहीं होती है।

शिव के गले में सर्प, मस्तक से गंगा की धारा का ज्ञान विज्ञान (रहस्य भेद)

आइए समझें शिव के गले में सर्प, मस्तक से गंगा की धारा का ज्ञान विज्ञान (रहस्य भेद)

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