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भारतीय “समुदाय विशेष” के लोग भारत या किसी भी देश के संविधान को मानने में असमर्थ क्यों सिद्ध होते हैं?
धर्म गलत करने को नहीं बोला लेकिन कुछ लोगों ने अपने फायदे या किसी उद्देश्य विशेष की पूर्ति के लिए द्वेष भावना पाली और अपने प्रभाव का प्रयोग करते हुए उसे फैलाया।
संकट काल में दिखता संघ का विराट रूप
ravi123 -
निहित स्वार्थों के वशीभूत वामपंथी मीडिया मुगलों के द्वारा एक विशेष चश्मे को लगाकर एकपक्षीय दुष्प्रचार संघ को लेकर किया जाता रहा। लेकिन इन सब दुष्प्रचारों से बेपरवाह संघ लक्ष्यैकचक्षुष्क होकर अपनी गति से निरंतर व्यक्ति निर्माण एवं चरित्र निर्माण के कार्य में लगा रहा।
यहूदी राष्ट्रीयता
kundan -
जहाँ इस्लाम और ईसाई धर्म के बढ़ते प्रभाव से विश्व के कई रिलिजन समाप्त हो गए है या समाप्त होने की स्थिति में है, वही यहूदियों के यह संघर्ष और जिजीविषा उनको एक पहचान और एक महत्वपूर्ण स्थान देता है।
बिहार की राजनीती और कोरोना वायरस से जंग
आप सोच रहे है इस महामारी की घड़ी के मै राजनीती की बात क्यों कर रहा हूँ तो आप पूछिए अपने आप से, क्या बिहार में राजनीती ही सबसे बड़ी महामारी नहीं है?
पारंपरिक भारतीय मूल्य Covid19 से लड़ने के लिए कैसे सही हैं
यह समझने की जरूरत है कि हालांकि भारत के पास Covid19 को ठीक करने के लिए वैक्सीन बना पाने की ठीक ठाक संभावना है, लेकिन रहस्यमय वायरस से लड़ने के लिए बहुत सारे विचार अवश्य हैं।
अम्बेडकरवादियों का सच
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बाबासाहेब का यथार्थवाद वर्तमान समय में किसी भी राजनीतिक दल के खांचे फिट नहीं बैठता। आंबेदकरवाद का पुर्ण अनुकरण किसी दल या नेता के बस की बात नहीं हैं।
7 वचन या मुस्लिम पर सितम
insatish -
अंकों के फेर में मुस्लिमों को मत फंसाइये, अपनी मान्यताएं उनसे पूरी मत करवाइये, याद रखिए ऊपर वाला सब देख रहा हैं।
मैं दूरदर्शन और नास्टैल्जिया
AKASH -
समाज की सबसे छोटी परन्तु संगठित इकाई परिवार ख़त्म हो चुकी है। इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो हम जिस विश्वगुरु राष्ट्र की कल्पना करते है वह ख़त्म हो जाएगी।