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वैश्विक महामारी, मजदूर और मानसिकता
केंद्र और राज्य प्रशासन हर हाल में लोगो की मदद में लगा है। जरूरत के समान से लेकर कई सुविधा सामग्री तक हर चीज़ के लिए प्रशासन ने यथा सम्भव व्यवस्था की। फिर भी मीडीया का एक ही अजेंडा है, कैसे सरकार को पेलें और लोगों में डर का माहौल बनाए
तीन ऐसे लोग जिन्होंने बताया कि पराजय अंत नहीं अपितु आरम्भ है: पढ़िए इन तीन राजनैतिक योद्धाओं की कहानी
ये तीन लोग हैं केंद्रीय मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी, दिल्ली भाजपा के युवा एवं ऊर्जावान नेता एवं समाजसेवी कपिल मिश्रा एवं तजिंदर पाल सिंह बग्गा। इन तीनों की कहानी बड़ी ही रोचक एवं प्रेरणादायी है।
फर्जी चिल्लाहट
जिन्हें आप मजदूर कह रहे हो वो सनातन परंपरा के लघु एवं कुटीर उद्योग के सर्वेसर्वा थे, जिनके सपनों को लाल सलाम के गमछे में लपेटकर बेच दिया गया, अब इनकी संवेदनाओं को बेचकर बाज़ारवाद अपनी झोली भर रहा है।
वटवृक्ष कथा और प्राइम का वेबसिरीज ‘पाताल लोक’
आमेजन प्राइम पर हाल में ही एक वेब सिरीज रिलीज़ हुआ है ‘पाताल लोक’। इस वेब सिरीज़ में एक कुतिया का नाम ‘सावित्री’ रखा गया है।
वट (सती) सावित्री के बहाने नारीवादी चर्चा
एक स्त्री जो अपने निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है, लिए गए निर्णय पर अडिग रहना जानती है, निर्णय का कुछ भी परिणाम हो उसे स्वीकार करने के लिए प्रस्तुत है, अपने प्रेम के लिए राजमहल को त्याग वन को जा सकती है, अपने प्रिय की प्राणरक्षा के लिए सीधे यमराज से टकराने का साहस और विजयी होने का सामर्थ्य रखती है क्या वो स्त्री निरीह या अबला हो सकती है?
राजीव गाँधी को मोबाईल क्रांति का जनक कहना ठीक नहीं
एक दशक के बाद आये इस मामूली बदलाव को क्रांति का दर्जा देना ठीक होगा? और फिर ये कहना कि राजीव गाँधी 'डिजिटल दूत' थे?
AMU की पाक ज़मीं से उपजा भारत के Secularism का रखवाला निर्देशक
अगर अनुभव सिन्हा एक एजेंडा से भरे निर्देशक नहीं बल्कि सचमुच दलितों के पक्ष कार एवं भला चाहने वाले व्यक्ति हैं तो क्या वे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी जिसके वह alumni रहे हैं में दलित आरक्षण के मुद्दे को उठाएंगे? क्या देश के अन्य विश्वविद्यालयों की तरह एएमयू जैसे विश्वविद्यालय में भी दलितों को आरक्षण का अधिकार नहीं?
खोखलापन सतह पर
दुःख से बड़ा दुःख का प्रस्तुतीकरण बनता जा रहा है. दुःख से परे उसके प्रस्तुतीकरण पर संवेदनाओं और आंसुओं की बाढ़ जो आ गयी है उसे देखकर लगता है जन जन दुखभंजन बनना चाहता है.
आत्मनिर्भर भारत पैकेज का पांचवां और अंतिम भाग: शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यापर सुगमता को समर्पित
पैकेज के पांचवें और अंतिम भाग में ग्रामीण रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यापर सुगमता और राज्यों को साथ लेकर चलने से सम्बंधित सुधार प्रस्तुत किये गए।
लाॅकडाउन 4.0 लागू , 31 मई तक बढ़ा लाॅकडाउन
अर्थव्यवस्था को देखते हुए सरकार ने कुछ और छूट के साथ लाॅकडाउन का चौथा चरण लागू किया जो 18 मई से 31 मई प्रभावी होगा।