असफलताओं को पीछे छोड़, उनसे सबक सीखते और सफलताओ का विश्वकीर्तिमान गढ़ते हुए हम भारतवासी सम्पूर्ण विश्व में सर्वप्रथम दक्षिणी ध्रुव पर पहुँचने वाले मानव प्रजाती बन गये। यह संकल्प से सिद्धी तक की यात्रा का सर्वोत्तम उदाहरण है।
जिद्दीपन है ना जब सकारात्मक हो समाजिकता से ओत प्रोत हो, नैतिकता से परिपूर्ण हो और राष्ट्रवाद की भावना के रस से सराबोर हो तो कभी सावरकर, कभी भगत, कभी नेताजी, कभी आज़ाद, कभी बिस्मिल, कभी लाल बाल और पाल तो कभी सरदार, कभी मुखर्जी, कभी उपाध्याय, कभी शास्त्री, कभी अटल, कभी आडवाणी तो कभी नरेंद्र दामोदर दास मोदी बनकर समस्त विश्व को प्रभावित कर देता है और अपने रंग में रंग देता है।
पठान फिल्म भी देशभक्ति पर आधारित थी, परन्तु इसमे देश से प्रेम के स्थान पर "पठान" प्रेम अधिक दिखलाई पड़ रहा था। इस फिल्म में भी बालीवुड़ ने भारतीय समुदाय के बहुसंख्यक समुदाय के भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का सम्पूर्ण प्रयास किया गया था
काले कारनामे को छिपाने के लिए वो भ्र्ष्टाचारी पढ़ा लिखा अनपढ़ केंद्र सरकार द्वारा लाये गये "दिल्ली सेवा बिल" के विरोध के लिए गली गली भटक कर समर्थन जुटा रहा था, और यही नहीं जिन लोगों को भ्र्ष्टाचारी बताकर उनको जेल भेजने की बात करने वाला आज उनकी ठोकरों में पड़ा समर्थन करने की भीख मांग रहा है।
अविश्वाश प्रस्ताव बुरी तरिके से असफल हो गया। सत्य की जीत हुई और धर्म विजयी हुआ। वर्ष २०१८ की भांति एक बार फिर एकजुटता का दम्भ भरने वाला विपक्ष फ्लोर टेस्ट में असफल हो गया।
सारे भ्र्ष्टाचारी घबड़ाए हुए हैँ कि कब किसका नंबर आ जायेगा, कब किसको उसके कुकर्मो की सजा मिलेगी ये कोई नहीं जानता, यदि जानता है तो बस एक शख्श और वो हैँ श्री संजय कुमार मिश्रा।
आज आवश्यक है कि हर घर से बच्चे छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप, गुरु गोविंद सिंह, भगवान बिरसा मुंडा, रानी लक्ष्मी बाई, रानी दुर्गावती और शुभाष चंद्र बोस जैसे महानायकों और महान विरंगनाओं से शिक्षा ग्रहण करें, स्व श्री लाल बहादुर शास्त्री, स्व श्री बाळासाहेब ठाकरे, स्व श्री केशव ब हेडेगेवार, स्व श्री राम प्रसाद बिस्मिल और स्व श्री भगत सिंह के अचारों और व्यवहारों को समझे और उसे अमल में लाये।
आज स्पष्ट रूप से आप देख सकते हैँ की इस राष्ट्र की दो धाराएं हैँ। पहली धारा जो भाजपा और आदरणीय प्रधानमंत्री जी के साथ है। दूसरी धारा जो भाजपा और प्रधानमंत्री जी के विरुद्ध है।