ये मेरे दोस्त जो यूपी में हैं जो ना नेता है, ना पॉलिटिकल analyst है, उनका कहना है और उनके ही शब्दों को मैंने इसमें लिखा है। जात की राजनीति और हिंदुत्व, देखते हैं जीत किसको हांसिल होती है।
योद्धा संन्यासी योगी आदित्यनाथ जी ने भी कोविड और उसकी चुनौतियों को अवसर में परिणत कर दिया और ऐसे आशातीत-आश्वस्तकारी परिणाम दिए कि पूरी दुनिया दाँतों तले ऊँगली दबाकर बस देखती रह गई!
भारत के इन सेक्युलर, लिबरल और वामपंथियों को यह रास नहीं आया कि भगवा धारण करने वाला एक हिन्दू सन्यासी कैसे भारत के सबसे बड़े राज्य का प्रशासक हो सकता है। लेकिन यह हुआ।