डोकलाम विवाद के समय, देश का एक प्रमुख राजनेता चीनी राजदूत से मिलने जाता है, रात के स्याह अंधेरों में मुलाकात होती है, और गौर कीजिये उसके बाद से ही वो राफेल डील के बेसुरे नगमे चिंघाड़ने लगता है। यहाँ सवाल ये है, कि क्यूँ इसमें आपको देशद्रोह नहीं दिखता? क्यूँ उसका हर दौरा विशेष रुप से गुप्त रखा जाता है?
एक विपक्ष के तौर पे आपको सवाल पूछने का पूरा हक है लेकिन पक्ष में रहते हुए जो कर्म आपने किये है, उनका जवाब आपको भी तो देना पड़ेगा ना क्योंकि वर्तमान आपकी अतीत की गलतियों का परिणाम है!
Anyone who thinks that problem with Congress is only due to people heading the party and not with the mindset, just see the behaviour of Himanta Biswa Sarma when he was with Congress and when he is in BJP and Sidhu before and after joining Congress.
राहुल गाँधी की चीनी राजदूत से मिलने से देश की जनता के मन में सवाल खड़ा हो गया है कि कहीं राहुल गाँधी भी तो सलमान खुर्शीद और मणि शंकर अय्यर के क़दमों पर तो नहीं चल रहे हैं?