The Congress has attempted to malign Savarkar’s reputation on various occasions by referring to him as a pro-colonialist on account of the abovementioned petitions for clemency written by Savarkar during his time at the Cellular Jail in Andaman.
जिस सावरकर की प्रसंशा तुम्हारी दादी ने की, जिस सावरकर का सामना तुम्हारे नाना कभी नहीं कर पाये, जिस सावरकर को तुम्हारे चाचा सम्मानित करने हेतु सदैव तैयार रहते थे, जिस सावरकर को स्वयं महात्मा गाँधी "राष्ट्र का सपूत" मानते थे और जिस सावरकर को गोरे (अंग्रेज) भारत का सबसे योग्य, ज्ञानी और अपने साम्राज्य के लिए सबसे खतरनाक व्यक्ति मानते थे, उस सावरकर जैसा बनना तो दूर आप ऐसी सोच भी नहीं रख सकते।
हाल के ही दिनों में दो प्रमुख घटनाएँ सामने आयीं है जिसे देख के लगता है की भारत में जातिवादी भावना भरी गई है ताकि हिन्दुओं में टकराव बना रहे और कुछ तथाकथिक धर्मनिरपेक्ष राजनितिक दल अपना प्रभाव और प्रभुत्व भारत में बना के रख सकें।
Taking advantage of the lack of any influential leaders like Subhas Chandra Bose in the country, both Nehru and Gandhi became instrumental in the execution of the partition.
A booklet titled ‘How brave was Veer Savarkar’ released by All India Congress Seva Dal training camp run by the Congress in Bhopal, has claimed that Veer Savarkar had a physical relationship with Nathuram Godse.
Rahul Gandhi has described Savarkar a coward and placed his ‘Gandhi’ dynasty over the glory and dignity of one our selfless freedom fighter – Savarkar.