TOPIC
Questioning Ram
हमारे राम, हमारे आराध्य, हमारी दृष्टि
जिसने अपनी इच्छा प्रकट करने वाली शूपर्णखा के नाक –कान कटवा दिए वो राम, जिसके लिए एक कपड़े धोने वाला अपनी पत्नी से बड़ा था वो राम इत्यादि इत्यादि।
आखिर ये विधर्मी हिन्दुओं/सनातन धर्मियों से इतनी नफरत क्यों करते हैं
अपना वाला पशुत्व वो सनातनधर्मियों में भी ढूँढने का प्रयास करते हैं और जब असफल हो जाते हैं तो नफरत से वशीभूत होकर कभी मिथ्या अपवंचना करके सनातनधर्मियों को बदनाम करने का प्रयास, कभी उनके देवी देवताओं की भद्दी तस्वीरें बनाकर उनको भड़काने का प्रयास या फिर उनके देवी देवताओं, आराध्यों, उनकी संस्कृति, भाषा, सभ्यता को अपमानित करने का प्रयास करते रहते हैं।
असुराधिपति के प्रति सहानुभूति और कृतज्ञता का पर्व
राम को न मानने, न जानने और न समझने वालों को ये सामाजिक सन्देश युक्त शुभकामनाएँ और फोन फोन तक इनकी पहुंच अपने एजेंडा को जन जन तक पहुँचाने का एक सशक्त माध्यम लगीं और उन्होंने इसका दोहन आरम्भ कर दिया।