अपना वाला पशुत्व वो सनातनधर्मियों में भी ढूँढने का प्रयास करते हैं और जब असफल हो जाते हैं तो नफरत से वशीभूत होकर कभी मिथ्या अपवंचना करके सनातनधर्मियों को बदनाम करने का प्रयास, कभी उनके देवी देवताओं की भद्दी तस्वीरें बनाकर उनको भड़काने का प्रयास या फिर उनके देवी देवताओं, आराध्यों, उनकी संस्कृति, भाषा, सभ्यता को अपमानित करने का प्रयास करते रहते हैं।
राम को न मानने, न जानने और न समझने वालों को ये सामाजिक सन्देश युक्त शुभकामनाएँ और फोन फोन तक इनकी पहुंच अपने एजेंडा को जन जन तक पहुँचाने का एक सशक्त माध्यम लगीं और उन्होंने इसका दोहन आरम्भ कर दिया।