Saturday, November 2, 2024

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Manusmriti wrongly interpreted

मनुस्मृति में नारी का स्थान: सनातन धर्मी का एक वामपंथी से शास्त्रार्थ

"नारी अस्य समाजस्य कुशलवास्तुकारा अस्ति।" अर्थात नारियां समाज की आदर्श शिल्पकार होती हैं और यही सोच, समझ और विश्वास तो मनुस्मृति मनुष्य समाज में उत्पन्न करती है, फिर आप लोग इसे अपमानित क्यों करते हैं।

हिन्दू जातिवाद: संविधान बनाम मनुस्मृति- भाग-२

मनुस्मृति को अत्यधिक अपमानित किया और बदनाम किया गया है और हम सनातनियों का यह कर्तव्य है कि हम इसको उचित सम्मान और समुचित स्थान दिलाये।

हिन्दू जातिवाद: संविधान बनाम मनुस्मृति: भाग-१

विधर्मियों और कुपढो ने सर्वप्रथम सनातन धर्म के जिस पुस्तक पर अपनी ओछी दृष्टि डाली उसे हम मनुस्मृति के नाम से जानते हैं।

The Waseem Rizvi controversy and the Manusmriti

the controversy has admittedly put the focus on what these 26 verses actually say and sparked off another age-old debate. The debate between the Quran and other holy books like the Manusmriti.

Stupidity with Manusmriti

For criticizing Hinduism, as a counter to the violent and xenophobic verses of the desert cult, people have even equated Manusmriti with Asmani Kitab.

मनुस्मृति और स्त्री

स्त्रियों को उचित प्रशिक्षण तथा सही मार्गदर्शन मिलना चाहिए ताकि वे अपना बचाव स्वयं कर सकें और गलत रास्ते पर भी न जाएं. स्त्रियों को चारदिवारी में कैद रखना महर्षि मनु के पूर्णत: विपरीत है.

मनुस्मृति और जाति प्रथा! सत्य क्या है? (part-2)

जन्म आधारित जातिव्यवस्था महर्षि मनु द्वारा प्रतिपादित समाजव्यवस्था का कहीं से भी हिस्सा नहीं है. जो जन्मना ब्राह्मण अपने लिए दण्डव्यवस्था में छूट या विशेष सहूलियत चाहते हैं – वे मनु, वेद और सम्पूर्ण मानवता के घोर विरोधी हैं और महर्षि मनु के अनुसार, ऐसे समाज कंटक अत्यंत कड़े दण्ड के लायक हैं

मनुस्मृति और जाति प्रथा! सत्य क्या है?

मनुस्मृति उस काल की है जब जन्मना जाति व्यवस्था के विचार का भी कोई अस्तित्व नहीं था. अत: मनुस्मृति जन्मना समाज व्यवस्था का कहीं भी समर्थन नहीं करती.

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