संघ विचार-परिवार जिस सुदृढ़ वैचारिक अधिष्ठान पर खड़ा है उसके मूल में माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर उपाख्य श्री गुरूजी के विचार ही बीज रूप में विद्यमान हैं। संघ का स्थूल-शरीरिक ढाँचा यदि डॉक्टर हेडगेवार की देन है तो उसकी आत्मा उसके द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरूजी के द्वारा रची-गढ़ी गई है।
माधव सदाशिव गोलवलकर उपाख्य श्री गुरूजी के चित्र लगा एक पोस्टर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें उनके हवाले से संघ दलित पिछड़ो को बराबरी के अधिकार का विरोध है ऐसा बताया जा रहा है। जबकि सचाई यह है की श्रीगुरुजी, विश्व हिंदू परिषद् के पहले सम्मेलन प्रयागराज 1966 में सभी पंथो के संतो को एक मंच पर लाकर "हिन्दव: सहोदरा सर्वे, ना हिन्दु पतितो भवेत" का प्रस्ताव पारित करवाया था।