नरेन्द्र मोदी एवं अन्य उच्च-स्तरीय नेता जैसे माननीय राजनाथ सिंह, अमित शाह आदि का गर्व के साथ अपनी हिन्दू आत्मता को सार्वजनिक जीवन में रखने से सामान्य हिन्दू को यह आत्मविश्वास एवं साहस मिला कि वह जिन बातों को निजी कक्षों में साथियों और मित्रों के बीच ही कहता था, अब उन्हें अभय होकर कर सड़कों तक पर कह पा रहा है।
Sullen faced leftist liberals especially the NDTV anchors covering the elections must know by now that Indian public no longer trusts their view or prescriptions.
हमारी सभ्यता में "मुक्तचिन्तन" की परंपरा का विस्थापन "आईडोलॉजिकल स्कूलिंग" नाम की बीमारी से हो गया है। हमारी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मुख्य रूप से इस देश के नौनिहालों को "हुक्म का गुलाम" बनाए जाने के लिए ज़िम्मेदार है।
क्या कभी भी हमने हमारे बीच रह रहे शहरी नक्सलियों के इन आतंकी सहायता समूहों को, इन स्लीपर सेल्स को जवाबदेह ठहराया है जो हमारी शिक्षा, मीडिया, मनोरंजन, राजनीति, कानून, न्यायपालिका में घर कर चुके हैं और उन्हें भीतर ही भीतर दीमक कि तरह खाये जा रहे हैं?
People of India in general and people of Kerala in particular must reply through ballot box towards the devilish atrocities of the left against Ayyappa devotes that too in the premises of Sabarimala temple.