We have achieved the political freedom, but that of mind is far from today. We are still living in the same colonial era, where we are the new brown sahibs.
जिन्हे हम ‘हिन्दी गाली’ कहते हैं, जितने भी फूहड़ और यौन-कुंठा के शब्द हिन्दी गालियों के रूप में बताए जाते हैं। अगर उनके उद्भव की पड़ताल करें तो हिन्दी क्या किसी भी भारतीय भाषा से उनका संबंध दूर-दूर तक नहीं मिलता।