कई ऐसे उदहारण है जो बताते है की राज्य सरकार बहिन बेटियों या माँओ के खिलाफ होने वाले अपराधों को नियंत्रीत करने के लिए गंभीर प्रयास कर रहे है। अतः सरकार की नियत पर संदेह करना राजनितिक ही हो सकता है व्यवहारिक नहीं।
भारतीय संस्कृति के बारे में इतिहासज्ञों एवं विद्वानों के पास एक भी प्रमाण ऐसा नहीं है कि जो इस सनातन संस्कृति को संकीर्ण, परंपरावादी, धर्मांध, नारी विरोधी एवं दलित विरोधी साबित कर सके। किंतु, जब भी कोई दुष्कर्म जैसी घटना होती है तो उसके तमाम संदर्भों को भुलाकर चोट केवल सनातन के प्रतीकों पर होती है।