आश्चर्य है, स्त्रियों के जीवन में इतना व्यापक परिवर्तन होने के बाद भी, वामपंथ प्रायोजित नारी विषयक मुद्दे नहीं बदले, कविताएँ नहीं बदलीं और उनकी मांगें भी उसी कूप के मंडूक की तरह वहीँ कूदती रहती हैं।
विद्या की देवी सरस्वती, धन की देवी लक्ष्मी, महारानी अवंतीबाई, विदुषी गार्गी, रानी लक्ष्मीबाई, महारानी झलकारी बाई, इंदौर की उदारमना शासक देवी अहिल्याबाई, गोंडवाना की शासक रानी दुर्गावती, रानी रुद्रम्मा देवी, रानी चेनम्मा, रानी और अनेकानेक उदाहरण हमारे समाज में मौजूद है।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को मनाने का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य महिलाओं और पुरुषों में समानता बनाना और इसके प्रति लोगो में जागरूकता लाना है। लेकिन आज इतने सालों बाद भी दुनियाँ भर में ऐसे कई देश हैं, जहां महिलाओं को समानता का अधिकार प्राप्त नहीं है।
Feminism was and is a good and powerful tool but the Left-Liberals have made it a weird thing. Radical feminists literally hate men and blame everything on patriarchy when things don’t go their way.
Life starts from a woman's womb and there is no alternative to it. Thus, not just on women's day, but it's everyone's responsibility to show extreme respect towards women on all days.