We ordinary Indians humbly and sincerely hope you, major stakeholders in the country’s all-round development story, won’t fail to recognize your foolishness any more.
सत्तर के दशक में नेहरूवियन सोशलिज्म की नाकामियों को छुपाने और देश की आर्थिक बदहाली का ठीकरा फोड़ने के लिये एक नया जुमला गढ़ा गया था।"हिन्दू रेट ऑफ ग्रोथ"