The cinema of Satyajit Ray is a unique blend of mind and emotions. He is superbly organized, specific, meticulous, and yet, evokes deep emotional reaction among the audience. His films portrays a fine compassion without using melodrama. He formed a cinematic style that is almost invisible.
अगर अनुभव सिन्हा एक एजेंडा से भरे निर्देशक नहीं बल्कि सचमुच दलितों के पक्ष कार एवं भला चाहने वाले व्यक्ति हैं तो क्या वे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी जिसके वह alumni रहे हैं में दलित आरक्षण के मुद्दे को उठाएंगे? क्या देश के अन्य विश्वविद्यालयों की तरह एएमयू जैसे विश्वविद्यालय में भी दलितों को आरक्षण का अधिकार नहीं?