किसी राज्य में ग़रीब किसान मरता है तो केजरीवाल दिन भर ट्वीट करते हैं, कहीं किसी ग़रीब को demonetisation के चलते खड़ा होना पड़ता है तो केजरीवाल प्रेस-कांफ्रेंस बुलवा लेते हैं; लेकिन दिल्ली के ग़रीब सफ़ाई कर्मचारियों को जब महीनों महीनों वेतन नहीं मिलता, तब केजरीवाल की सारी कैफ़ियत ही बदल जाती है।