From our childhood till adult we were taught that his name was B.R Ambedkar or Babasaheb Ambedkar, but why not RAMJI? Because RAMJI didn’t fit in the narrative of those so called secular historians and parties.
ये चिंतन करने का विषय है कि आग कहीं न कहीं जलती रहती है इसीलिए इस देश के इतने टुकड़े करने के बाद भी धर्म के आधार पर फिर से उसी मोड़ पर खड़े होकर धुआं निकलते हुए देखते रहते हैं।