गुजरात की धरती से एक सूर्य (उस "चायवाले") का उदय हुआ और देखते ही देखते अपने "गुजरात मॉडल" वाले राजधर्म से सम्पूर्ण सनातनधर्मियों के मस्तक पर दस्तक देने लगा और सनातनधर्मियों ने भी इस अवसर को अपने दोनों हाथो से लिया और वर्ष २०१४ से लेकर आज तक वो उस व्यक्तित्व के साथ पूरे स्वाभिमान के साथ जुड़े है और सदैव जुड़े रहेंगे, क्योकि ये जोड़ निस्वार्थ देशप्रेम, धर्मप्रेम व सांस्कृतिक व ऐतिहासिक अभिमान से प्रेरित है"।