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भारत को गृह युद्ध के तरफ ले जाने की साजिश
नकली गाँधी कह रहा है कि केंद्र को फ्री में वैक्सीन देना चाहिए, क्यों भाई राज्य सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं होती क्या?
बनते रहो चारा, निभाते रहो भाई चारा
राजनैतिक दलों ने सत्ता प्राप्ति के लिए सार्थक काम करने के स्थान पर मुस्लिम तुष्टिकरण को बढ़ावा दिया क्योंकि वो चुनाव जीतने का आसान रास्ता था।
केन्द्र की अकर्मण्यता और बंगाल चुनाव परिणाम
जिस देश में दारू के एक बोतल और एक मुर्गे पर लोगो की राजनीतिक आस्था बदल जाती है वहां free and fair election की कामना कैसे कर सकते हैं?
टीका ही बचाव है
जब देश में कोरोना से हालात इतने खराब है, संक्रमितों की संख्या दिन–प्रतिदिन बढ़ रही है, तो ऐसे में टिकाकरण का विकल्प लोगों को अपने स्वस्थ्य के प्रति चिंता कम करने में मदद करेगी।
सनातन की रक्षा का अंतिम धर्मयुद्ध प्रारम्भ
हमारे पुरखों ने भी समय समय पर कभी राणा प्रताप बन कर तो कभी शिवाजी और गुरुगोबिंद सिंह बन कर धर्म और देश की रक्षा के लिये अपने प्राण तक लुटा दिये। और अब हमारी बारी है धर्म और देश की रक्षा करने की।
इस ऑटो वाले के हौंसले और जज्बे को सैल्यूट, कोरोना मरीजों के लिए बनें देवदूत, शुरू कर दी फ्री सर्विस
रवि अग्रवाल पेशे से ऑटो चलाने का काम करते हैं। मगर उनके दिल में पीडि़त लोगों की मदद का जो जज्बा है, वह बेमिसाल है।
क्या “मानवता” ही हमारे समय की सबसे बड़ी अतिशयोक्ति है?
परिस्थितियों को देखने पर लगता है, “मानवता” ये शब्द अथवा तत्व ही हमारे समय की सबसे बड़ी अतिशयोक्ति है।
हनुमान जयंती की पूजन विधि क्या है? और शुभ मुहूर्त
sagar -
हिन्दू पंचांग के अनुसार हनुमान जयंती प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष पुरनी माँ के दीन को मनाई जाती है साल 27 अप्रैल को मनाई जाएगी चैत्रमा की शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है आज हम बात करेंगे की हनुमान जयंती की पूजा विधि क्या है?
पुस्तक- ईमानदार मार्गदर्शक
gdbinani -
हमारे वेद पुराणों के समय से, जब से उन्हें पुस्तकों के रूप में लिखा गया है, तब से लेकर आज तक एवं आगे आने वाले समय मे भी पुस्तक के महत्व एवं उपयोगिता को नकारा नही जा सकता।
यन्नेहास्ति न कुत्रचित्- अथ श्री महाभारत कथा
एक ऐसा ग्रन्थ जिसके विषय में स्वयं श्री वेदव्यास कहते हैं, “यन्नेहास्ति न कुत्रचित्” अर्थात जो महाभारत में नहीं है वो कहीं नहीं है। जिस ग्रन्थ का उपक्रम मनुष्यों को उनके अंतःकरण पर विजय प्राप्त कराने के लिए किया गया है, हम उसी को नहीं पढ़ते, न घर में रखते हैं।