Wednesday, April 24, 2024

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वामियों का देशविरोधी होने का सुबूत

2014 के बाद आजतक यही पूछते आ रहे थे कि मोदी जी तीन तलाक कब हटा रहे हो? मोदी जी 370 कब हटा रहे हो? अब जब दोनों काम हो गए तो टॉयलेट में मुंह डाल के फ्लश चला लिया है।

70 साल का दंश खत्म, देश के लिए एक नई सुबह का आगाज़

अलगवाद, आतंक और हिंसा की मार झेल रहा कश्मीर अब भारत का सिरमौर बनेगा, विकास की नई गाथा लिखी जाएगी।

जम्मू-कश्मीर में एक “कुव्यवस्था” का अंत

आज जम्मू -कश्मीर के पास एक सुनहरा अवसर है की वह इस फैसले को सहर्ष स्वीकार कर के खुद और आने पीढ़ी को एक स्वर्णिम भविष्य दे जिसमे आतंकवाद और अलगवाद का कोई स्थान ना हो ना ही मुफ़्ती-अब्दुल्लाह जैसे स्वार्थी-वंशवादी जैसे लोग हो जो आम कश्मीरी अवाम को सपने बेचते है।

गौरक्षक गोपाल- हत्या या बलिदान? और कितने गोपालों की आहुतिओं के उपरांत जागोगे! १३५० वर्षों से वेदिकाएँ ज्वलित हैं!

1947 से 1970 तक चलें गौ अन्दोंलनों के बारे में ना कहीं चर्चा हुई ना ही कभी यह मुद्दा राष्ट्रीय मंच तक अपनी उपस्तिथि दर्ज करा पाया।

हिंदुत्व भावनाओं का अधिपतन -क्या यह प्रारब्ध है या निजकर्म

हज़ारो वर्षो से वैदिक सभ्यता,भारतीयता का जो उपहास व निम्नस्तरीयता का जो भाव विदेशी आक्रांताओ द्धारा प्रचलित रहा है वो आज भी जीवित है, तर्क, आलोचना, टिप्पड़ियाँ, कुंठा से ना हमारा भूतकाल पुनः राम राज्य बन जायेगा ना ही हम भारतियों की व्यथा को शांत कर पायेगा।

मोदी जी से ईर्ष्या की पत्र राजनीति

तथाकथित बुद्धिजीवी ऐसी घटनाओं की प्रतीक्षा में रहते हैं जिससे ये राष्ट्र की छवि धूमिल कर सके। ये एक एजेंडे के तहत कार्य करते हैं। नागरिकों को अपने दायित्व को समझना होगा व आवेश में कानून का उल्लंघन करने से बचना होगा।

गौ माता -हिंन्दुओ के दृष्टिकोण से भाग १

इस्लामिक, वामपंथी, क्रिसियन व अधार्मिक विचारों की बात ना कर उन चेतन भ्रांन्तिक सनातन हिंन्दुओ की चर्चा करेंगे, जो मुख्यता गौवंश के पतन के लिए मुख्यता जिम्मेदार हैं।

सती प्रथा: एक समग्र विश्लेषण

विधवा विवाह और सती प्रथा दो विपरीत प्रथाएँ हैं जिनका सह-अस्तित्व कभी भी संभव नहीं। अर्थात अगर विधवा विवाह प्रचलित है तो सती प्रथा का कोई औचित्य ही नहीं है। निस्संदेह सती प्रथा मूल हिंदू धर्म का कोई अंग नहीं था। फिर यह कुरीति समाज में कैसे शुरू हुई?

माखनलाल विवि का सत्रारंभ: मोदी को बताया लोकतंत्र और पत्रकारिता के लिए संकट

सोची समझी रणनीति के तहत मोदी विरोधियों को उद्बोधन के लिए बुलाया गया था। नए छात्रों को पत्रकारिता की चुनौतियों से निपटने की बजाए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी को चुनौती के रूप में पेश किया गया। पूरे सत्र के दौरान मोदी को खलनायक के रूप में पेश किया गया।

वैश्विक मंच पर मजबूती से उभरता भारत, अलग- थलग पड़ता पाक

कुलभूषण जाधव मामले में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के आईसीजे फैसला सुना रहा था तब पाकिस्तान को मुंह छिपाने की जगह नहीं मिल रही थी।

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