राममंदिर के लिए पिछले सदियों से चल रहा संघर्ष भव्य राम मंदिर के रूप में भारत के सामने प्रकट होगा। चाहे कितने ही असुर, राक्षस और दुष्ट प्रवृति के लोग राम काज में अड़ंगा लगाएं, भारत के इतिहास पुरुष मर्यादा पुरुषोत्तम का स्थान अयोध्या में पूरी भव्यता के साथ बनेगा।
कश्मीर को शांत वादियों में बदलना है तो उसे अस्सी के दशक में मौजूद रहे जनसंख्या के मूल ढांचे में लाना ही पड़ेगा। इसके अलावा बाकी सारे उपाय फौरी तौर पर तो सफल हो सकते हैं, लेकिन वह लंबे समय तक कारगार नहीं हो पाएंगे।
वेब सीरिजों में धार्मिक प्रतीकों के साथ दुर्व्यहार बहुत सामान्य सी बात हो गई है। विशेषकर हिंदू प्रतीकों के साथ सीरिजकार जिस तरह का व्यवहार करते हैं, वह सभ्य समाज के लिए असहनीय है। और इसमें कोई मर्दानगी जैसा भी महसूस नहीं होना चाहिए।
मामला अब मात्र प्रशांत भूषण के माफी मांगने तक सीमित नहीं रह गया है। यह एक बहाना है। उनका असली मकसद देश की संवैधानिक संस्थाओं के प्रति आम लोगों में अविश्वास की भावना विकसित करने के लिए एक नरैटिव तैयार करना है, जिससे लोगों के भीतर अपनी ही सरकार और संस्थाओं के प्रति भरोसा कम होता जाए।
आक्रामकता में इतना नीचे नहीं गिरिये कि आप सावरकर पर भद्दी बातें करना शुरू कर दें। फ्री कश्मीर के बैनरों का समर्थन करना शुरू कर दें। दिल्ली के शाहिन बाग में जिन्ना वाली आजादी का समर्थन शुरू कर दें।
क्या अलवर जिले के थानागाजी क्षेत्र में दलित महिला के लिए साथ हुई सामूहिक दुष्कर्म की घटना ने राज्य के राजनैतिक तंत्र के माथे पर हल्की भी सिकन पैदा नहीं की? अगर होती तो अशोक गहलोत चुनाव प्रचार पर जाने से पहले पीड़िता का दर्द बांटने और उसे न्याय दिलाने का आश्वासन देने अब तक थानागाजी पहुंच चुके होते।