Friday, April 19, 2024
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Meenakshi Dikshit

सुनो तेजस्विनी, धर्म तुम्हारा, दर्द तुम्हारा फिर एजेंडा उनका क्यों?

यदि हिन्दू धर्म में स्त्री उन दिनों में अछूत या अपवित्र समझा जाता तो उन दिनों को “मासिक धर्म” क्यों कहा जाता, “मासिक अधर्म” क्यों नहीं? यदि रजस्वला स्त्री अपवित्र होती तो स्वयं श्री कृष्ण, रजस्वला द्रौपदी की रक्षा करने क्यों आते? यदि मासिक धर्म अपवित्र होता तो माँ के योनि रूप की पूजा क्यों होती?

अटल स्मृतियाँ: दैनन्दिनी 16.08.2018

देह धर्म तो सिमटना ही है लेकिन अटल जी द्वारा जीवन भर सींची गयी अमर आग और जीवन पर्यंत तपने का प्रकाश, .......इस धरा को सदा आलोकित करेगा।

सांस्कृतिक सूत्र, जिनमें पिरोयी हैं विविधता की मनकाएं

क्या श्री राम जन्मभूमि पर भव्य राष्ट्र मंदिर के निर्माण के भूमि पूजन के उजास से आलोकित इस स्वाधीनता दिवस पर उन सांस्कृतिक सूत्रों पर बल देना समीचीन नहीं होगा जिन्होंने हमें बहुविध होने पर भी एकात्मता प्रदान की है?

रक्षाबंधन और श्री रामजन्मभूमि आन्दोलन की स्मृतियाँ

भाजपा अध्यक्ष के रूप में लाल कृष्ण अडवाणी जी के आन्दोलन को राजनैतिक समर्थन का निर्णय और 6 दिसंबर 1992 के विवादित निर्माण ध्वंस की घटना इस मुक्ति यज्ञ के दो निर्णायक मोड़ थे जिन्होंने हमें आज ये सौभाग्य प्रदान किया है।

वानप्रस्थ संकुल समय की मांग हैं: इसे अन्यथा न लें

बड़े नगरों के उच्च वर्गीय और विकसित क्षेत्रों के बड़े-बड़े घरों में बुजुर्ग दम्पति या दोनों में से शेष रहा कोई एक, अकेले रह रहा है। बच्चे शिक्षा, व्यवसाय, नौकरी जैसे कारणों से दूसरे नगरों या देशों में रह रहे हैं। इनका जीवन अलग प्रकार के भय से ग्रस्त है।

संस्कृति के अस्तित्व का संघर्ष और सनातन की तैयारी

दीपावली से रक्षा बंधन तक सनातन संस्कृति के समस्त पर्व निशाने पर हैं।सनातन संकृति आज अपनी उद्भव भूमि पर ही अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है।

Establishing new narrative with incomplete truth about India’s population

When left- liberals focus on shrinking young population and indirectly disregard need of family planning; its time for the nation is to be vigilant.

सुनो तेजस्विनी, ब्रा स्ट्रैप में मत उलझो..

उदारवादी और वामपंथी महिला समूहों ने ऐसा वातावरण बनाने का प्रयास किया मानो, ब्रा स्ट्रैप छुपाने के लिए टोका जाना ही आज की लड़की के जीवन की सबसे बड़ी समस्या है।

पितृसत्तात्मक समाज से वामपंथी नारीवादियों का महायुद्ध

यदि समाज इतना ही पितृ सत्तात्मक था तो ब्रह्म वादिनी स्त्रियाँ कहाँ से आयीं? यदि समाज इतना ही पितृ सत्तात्मक था तो शंकराचार्य और मंडन मिश्र के शास्त्रार्थ का निर्णायक भारती को क्यों बनाया गया?

राम खेलावन सतर्क है

पतंग के माझे से होली की पिचकारी तक चाइना की हो गयी किसी ने आह तक नहीं की आज जब सब बदल रहा है सब कुछ भारत में ढूँढा जा रहा है तो रामखेलावन को एक आत्मिक शांति की अनुभूति हो रही है।

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