शरण देने वाले ईश्वर तुल्य हुआ करते हैं, शरणार्थी बन कर उन्हीं का गला काट देना क्या है? एक रिवाज, एक प्रथा, या अपने अल्लाह के आंगन में अपनी एक सीट आरक्षित हो जाने की उम्मीद, या आलोचना न सह पाने के कारण विक्षिप्त हो जाने पर किया गया कत्ल।
कुछ भी हो फ्रांस की दुर्घटना मानवता के नाम पर वो कलंक है जो आने वाले समय मे एक ऐसा मानक तो स्थापित कर ही देगा कि तथाकथित शांति समुदाय के शरणार्थियों को शरण देने के लिए कितनी बार सोचें या उनके बारे में सोचने की प्रक्रिया ही निरस्त कर दी जाए।
खैर सोचने वाली बात ये है कि 50 से ज्यादा देशों में शासन होने के बावजूद ये शरण लेने के लिए वहां क्यों नही जाते।
पैंट के पीछे वाली जेब में गला रेतने वाले औजार और आगे वाली जेब में विक्टिम कार्ड रखने वाले इन दहशतगर्दों को शांति के ऊंचे पजामे में फिट होने का लाइसेंस और समर्थन कहाँ से मिलता है।
इनकी शांति के फॉर्मूलों से तंग आ चुकी है दुनिया। क्यों घुसने दिया जाय इन्हें दूसरों की सरजमीं पर गंध मचाने के लिए, कैद कर दिया जाना चाहिए इनकी सोच को इन्हीं के अहाते में, दूसरों के जीवन को नर्क बना देने वालों का क्या काम दूसरों के आंगन में घुसकर उनकी नर्सरी के पौधों को उखाड़ने का, कलियों को मसलने की छूट क्यों दी जाए।
सोचिये, समझिये, विचार कीजिये क्योंकि कुछ सालों बाद आप सोचने, समझने और विचार करने की स्थिति में नही रह जाएंगे। रेगिस्तान के नागफनियों का इलाज बहुत जरूरी हो चला है।
इति