यदि इंडियन स्टेट के कर्ताधर्ताओं (चाहे नेता हों या प्रशासन या न्यायालय) को हिंदुत्व की इन विविध सुंदरताओं की रत्ती भर भी समझ होती तो सबरीमाला जैसे मूर्खतापूर्ण निर्णय न आते।
आए दिन हिंदू मान्यताओं की ना सिर्फ़ मज़ाक उड़ाई जाती हैं बल्कि उनको पिछड़ा और नीचतम कह के उनकी इज़्ज़त भी उतरी जाती हैं: और इन सब में सुप्रीम कोर्ट भी सहभागी बन रही है