राहुल गाँधी पिछले 5 सालों में 16 घोषित और अघोषित विदेश यात्राएं कर चुके हैं. गौरतलब बात यह है कि इसी 5 साल की अवधि में उन्होंने अमेठी के भी इतने चक्कर नहीं लगाए जितनी बार उन्हें विदेश भागना पड़ा है.
Rahul is a hope to the millions in India. Those who haven't ever held a job - will see him and think - yes, I can become a Prime Ministerial candidate too. How inspiring is that?