We are in this race where people have become more artificial and machines more intelligent, where everybody wants to win, but the irony is nobody has time to celebrate.
समाज की सबसे छोटी परन्तु संगठित इकाई परिवार ख़त्म हो चुकी है। इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो हम जिस विश्वगुरु राष्ट्र की कल्पना करते है वह ख़त्म हो जाएगी।