Recently, the University Grants Commission (U.G.C) chief, requested the universities to allow students to write their examinations in the local language, even if, the course is offered in English medium.
मातृभाषा में शिक्षा का विचार सराहनीय तो है पर अभी ये एक स्वप्न बनकर ही रह जायेगा। थोड़े विचार से ही पता चल जायेगा कि क्यों प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में करने का प्रयास विफल होने वाला है।
हिंदी भाषा मे बढ़ते प्रदूषण के लिए मीडिया से ज्यादा हम एक समाज के तौर जिम्मेदार है। न जाने कितनी बार हम हिंदी भाषा का मजाक बनते हुए देखते हैं परन्तु हमारे लिए यह सब अब ‘नार्मल’ हो चला हैं।