यदि हिन्दू धर्म में स्त्री उन दिनों में अछूत या अपवित्र समझा जाता तो उन दिनों को “मासिक धर्म” क्यों कहा जाता, “मासिक अधर्म” क्यों नहीं? यदि रजस्वला स्त्री अपवित्र होती तो स्वयं श्री कृष्ण, रजस्वला द्रौपदी की रक्षा करने क्यों आते? यदि मासिक धर्म अपवित्र होता तो माँ के योनि रूप की पूजा क्यों होती?